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Monday, July 30, 2018

है ना?

है ना ? 




तुम कल फिर से आये थे सपने में,
अब तक कुछ अधूरा सा है शायद, है ना?

वो अनकही, आधे पौने से वादें,
अब भी कहीं न कहीं छिपे बैठें हैं दिल मे, है ना?

फ़ोन के जाले लगे कोने को साफ कर वापस गले लगाने को सोंचा,
तुमने भी किसी दिन फ़ोन, इसी तरह उठाया होगा, है ना?

मेरे फिल्म के एन्ड क्रेडिट्स मे आने वाले पहले कुछ नामों में,
तुम शामिल हो, ऐसा तुमने भी चाहा था, है ना?

कई सवाल आज भी हैं, घर कर बैठे, पर अब,
जवाबों की ना चाहत है, ना जरुरत, है ना?

वैसे भी हर हसीन ख्वाब गर पूरे होते तो,
ये दुनिया जैसी है वैसी नहीं होती, है ना?


                                                         - सूरज 


निशिता बहुत बहुत  धन्यवाद, इतने सालों बाद वापस  ये जो कुछ लिखा उसका श्रेय तुमको है। 

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